बौद्ध धर्म : एक परिचय

बौद्ध धर्म 




बौद्ध दर्शन नास्तिक दर्शन है जिसके प्रवर्तक महात्मा बुद्ध थे ।
👉 बौद्ध दर्शन के संबंध में महत्वपूर्ण तथ्य निम्नलिखित है - 

▪️ बौद्ध धर्म के संस्थापक - Gautam Buddh 

👉 Gautam Buddh  को एशिया का ज्योतिपुंज (light of Asia ) कहा जाता है ।

▪️बचपन का नाम      -     सिद्धार्थ था
▪️ जन्म                   -     563 ईसा पूर्व
▪️ स्थान                  - कपिलवस्तु के लुंबिनी नामक स्थान पर

▪️ पिता  -  शुद्धोधन ( शाक्य गण के मुखिया)
▪️ माता  - महादेवी ( बुद्ध के जन्म के सातवें दिन बाद मृत्यु हो गई )
▪️ लालन पालन - सौतेली मां प्रजापति गौतमी ने किया ।

▪️ विवाह - 16 वर्ष की अवस्था में ,
▪️ पत्नी  -  यशोधरा
▪️ पुत्र    -  राहुल
▪️ गुरु    -  आलार कलाम

◼️ सिद्धार्थ जब कपिलवस्तु की सैर पर निकले तो उन्होंने निम्न चार दृश्यों को क्रमश देखा था -
1. बूढ़ा व्यक्ति
2. एक बीमार व्यक्ति
3. शव
4. एक सन्यासी

◼️ सांसारिक समस्याओं से व्यथित होकर गौतम बुद्ध ने 29 वर्ष की अवस्था में घर त्याग कर दिया था घटना को बौद्ध धर्म में *महाभिनिष्क्रमण *कहा जाता है ।

◼️ घर त्याग करने के बाद सिद्धार्थ / बुद्ध ने वैशाली के ऑलर कलाम सांख्य दर्शन की शिक्षा ग्रहण की ।
▪️ आलार कलाम सिद्धार्थ प्रथम गुरु हुए ।


◼️आलार कलाम के बाद भारत ने राजगीर के रूद्रकरामपुत्र से शिक्षा ग्रहण की ।

◼️ उरुवेला में सिद्धार्थ/ बुद्ध को कोंडिनी, वप्पा, भादिया, महानमा, व अस्सागी नामक 5 साधक मिले ।

◼️ 6 वर्ष की कठिन तपस्या के बाद सिद्धार्थ 35 वर्ष की आयु में पूर्णिमा की रात नदी के किनारे पीपल के वृक्ष के नीचे सिद्धार्थ को ज्ञान प्राप्त हुआ ।

◼️ ज्ञान प्राप्ति के बाद सिद्धार्थ बुद्ध के नाम से जाने जाने लगे।
◼️ तथा ज्ञान प्राप्ति स्थान बोधगया कहलाया ।


◼️ बुद्ध ने अपना प्रथम उपदेश सारनाथ में दिया जिसे बुद्ध ग्रंथों में धर्म चक्र प्रवर्तन कहा जाता है ।

◼️ महात्मा बुद्ध ने अपने उपदेश जनसाधारण की भाषा पाली भाषा में दिए  ।

◼️ महात्मा बुद्ध ने सर्वाधिक उपदेश कौशल की राजधानी श्रावस्ती में दिए ।

◼️ महात्मा बुद्ध के  प्रमुख अनुयायी शासक - बिंबिसार , प्रसेनजीत, उदयन

◼️ महात्मा बुद्ध की मृत्यु - 80 वर्ष की अवस्था में ।
स्थान - कुशीनारा ( देवरिया , उत्तर प्रदेश)

◼️ महात्मा बुद्ध की मृत्यु की घटना को बौद्ध धर्म में महापरिनिर्वाण कहा जाता है ।

◼️ बौद्ध धर्म के बारे में हमें विशेष ज्ञान पाली त्रिपिटक से प्राप्त होता है - 
👉 त्रिपिटक
▪️ सुत्त पिटक - धम्म संबंधी उपदेश ।
▪️ विनय पिटक - भिक्षुओं के आचार नियम
▪️ अभिधम्म पिटक - दार्शनिक विचार

◼️ सबसे महत्वपूर्ण पिटक - सुत्त पिटक
◼️ पिटको की भाषा - पाली 

◼️ बौद्ध धर्म मूलत अनीशवरवादी हैं । इसमें आत्मा की परिकल्पना भी नहीं है।

◼️ तृष्णा को क्षीण हो जाने की अवस्था को ही बुद्ध ने निर्वाण कहां है ।

◼️ बुद्ध धर्म के अनुयाई दो भागों में विभाजित थे - 
1. भिक्षुक - बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए जिन्होंने सन्यास ग्रहण किया है उन्हें भिक्षुक कहा जाता था ।

2. उपासक - गृहस्थ जीवन व्यतीत करते हुए बौद्ध धर्म अपनाने वाले को उपासक कहा गया है ।


◼️ संघ में सम्मिलित होने के लिए न्यूनतम आयु सीमा 15 वर्ष की थी ।
◼️ बौद्ध संघ में प्रविष्टि होने को उप संपदा कहा जाता था ।

◼️ बौद्ध धर्म के त्रिरत्न - 
1. बुद्ध
2. धम्म
3. संघ 

◼️ प्रमुख बौद्ध सभाएं आयोजित

👉1. प्रथम बौद्ध संगीति
▪️ समय - 483 ईसा पूर्व 
▪️ स्थान - राजगृह
▪️ अध्यक्ष - महा कश्यप
▪️ शासन काल - अजातशत्रु

👉2. द्वितीय बौद्ध संगीति
▪️ समय - 383 ईसा पूर्व
▪️ स्थान - वैशाली
▪️अध्यक्ष - सबाकामी
▪️ शासनकाल - कॉलाशोक

👉3. तृतीय बौद्ध संगीति
▪️ समय - 255 ईसा पूर्व
▪️ स्थान - पाटलिपुत्र
▪️ अध्यक्ष - मोगलीपुत्रतीस
▪️ शासनकाल - अशोक

👉4. चतुर्थ बौद्ध संगीति
▪️ समय - ईसा की प्रथम शताब्दी
▪️ स्थान - कुंडलवन , कश्मीर
▪️अध्यक्ष - वसुमित्र / अश्वघोष 
▪️ शासनकाल - कनिष्क


◼️ चतुर्थ बौद्ध संगीति के आयोजन के बाद बौद्ध धर्म दो भागों में विभाजित हो गया ।
1. हीनयान
2. महायान


◼️ धार्मिक जुलूस का प्रारंभ सबसे पहले बौद्ध धर्म के द्वारा प्रारंभ किया गया ।
◼️ बुद्ध का सबसे पवित्र त्यौहार वैशाख पूर्णिमा है जिसे बुद्ध पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है ।
◼️ बुद्ध पूर्णिमा का महत्व इसलिए है कि बुद्ध पूर्णिमा के दिन ही बुध का जन्म , ज्ञान की प्राप्ति एवं महापरिनिर्वाण की घटना हुई थी ।

◼️ महात्मा बुद्ध ने सांसारिक दुखों के संबंध में चार आर्य सत्य का उपदेश दिया है -
1. दुख 
2. दुख समुदाय
3. दुख निरोध
4. दुख निरोध गामिनी प्रतिपधा


◼️ सांसारिक दुखों से मुक्ति हेतु बुद्ध ने अष्टांगिक मार्ग की बात भी कही है , 
जिनके यह साधन प्रमुख है -
1. सम्यक दृष्टि
2. सम्यक संकल्प
3.सम्यक  वाणी  
4.सम्यक कर्मांत
5.सम्यक अजीव
6.सम्यक व्यायाम
7.सम्यक स्मृति
8.सम्यक समाधि

◼️ महात्मा बुद्ध के अष्टम मार्गों के पालन करने के उपरांत मनुष्य की भव तृष्णा नष्ट हो जाती है और उसे निर्माण प्राप्त हो जाता है ।

◼️ निर्माण बौद्ध धर्म का परम लक्ष्य है ।
◼️ जिसका अर्थ है , दीपक का बुझ जाना या मरण चक्र से मुक्त हो जाना ।

◼️ महात्मा बुद्ध ने निर्वाण प्राप्ति को सरल बनाने के लिए 10 शीलो पर बल दिया है -
1. अहिंसा
2. सत्य
3. अस्तेय
4. अपरिग्रह
5. मध् सेवन ना करना
6. असमय भोजन ना करना
7. सुखप्रद बिस्तर पर नहीं सुना
8. धन संचय ना करना
9 स्त्रियों से दूर रहना
10. नृत्य गान आदि से दूर रहना ।

◼️ गृहस्थ के लिए केवल प्रथम पांच शिल तथा भिक्षुओ के लिए 10 शील मानना अनिवार्य था ।

◼️ बुद्ध ने मध्यम मार्ग का उपदेश दिया ।

◼️  अनिश्वरवाद के संबंध में बौद्ध धर्म एवं जैन धर्म में प्रमुख समानता है ।

◼️ जातक कथाएं प्रदर्शित करती है कि बोधिसत्व का अवतार मनुष्य रूप में भी हो सकता है तथा पशुओं के रूप में भी ।

◼️ सर्वाधिक बुद्धू मूर्तियों का निर्माण गंधार शैली के अंतर्गत किया गया है लेकिन बुद्ध की प्रथम मूर्ति मथुरा केला के अंतर्गत बनी थी ।